रायपुर। परिसीमन के बाद 2008 में अस्तित्व में आई कोरबा लोकसभा सीट में अब तक महज 3 संसदीय चुनाव हुए हैं, जिनमें 1 बार भाजपा को जीत मिली। लेकिन इस बार यहां के हालात जुदा हैं। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद सीएम साय की अगुवाई में भाजपा की सरकार ने क्रांतिकारी फैसले लिए हैं, जिनका असर इस चुनाव में साफ तौर पर दिखेगा। कोरबा सीट से पार्टी ने कद्दावर नेत्री सरोज पाण्डेय को मैदान में उतारा है। हालांकि कांग्रेस ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन माना जा रहा है कि वर्तमान सांसद ज्योत्सना महंत या उनके पति चरणदास महंत यहां से प्रत्याशी हो सकते हैं। कोरबा में 2009 में हुए पहले चुनाव में चरणदास महंत ने जीत हासिल की थी। लेकिन 2014 के चुनाव में वे भाजपा के डॉ. बंशीलाल महतो से हार गए थे। 2019 में कांग्रेस ने महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत को प्रत्याशी बनाया था, जो वर्तमान में सांसद हैं।
यूं तो बतौर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने अब तक के छोटे से कार्यकाल में पूरे प्रदेश के लिए न केवल बेहतर योजनाएं बनाईं हैं बल्कि उनका क्रियान्वयन भी किया है। लेकिन फिलहाल उनका फोकस उन दो सीटों पर है, जहां पिछली दफा भाजपा को पराजय मिली थी। इनमें सबसे महत्वपूर्ण कोरबा की सीट है। कोरबा, सीएम साय के गढ़ रायगढ़ से लगा हुआ इलाका है। इसलिए भी इस सीट को लेकर वे ज्यादा गम्भीर है। गम्भीरता की एक बड़ी वजह यह भी है कि 2009 के पहले चुनाव में भाजपा ने इस सीट से करुणा शुक्ला को उतारा था, जिन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। वर्तमान में सरोज पाण्डेय की स्थिति हालांकि 2009 के हालातों से बेहतर है, लेकिन सीएम साय इस बार कोरबा में किसी चूक के मूड़ में नहीं है। महत्वपूर्ण यह भी है कि उस वक्त भाजपा में जो स्थान करुणा शुक्ला का था, लगभग वही स्थान वर्तमान में सरोज पाण्डेय का है।
कोरबा में कांग्रेस एक परिवार पर निर्भर- सरोज
भाजपा प्रत्याशी घोषित होने के बाद सरोज पाण्डेय का पहला दौरा जिला मुख्यालय मनेन्द्रगढ़ में हुआ। उन्होंने कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। सुश्री पाण्डेय ने कहा कि कांग्रेस पार्टी कोरबा में एक ही परिवार पर निर्भर नजर आती है। इस क्षेत्र में पहले पिता, फिर पुत्र और फिर बहू को बार-बार चुनाव में उम्मीदवार बनाया गया। इससे पहले भाजपा प्रत्याशी कोरबा पहुंची तो कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया। अलग-अलग जगहों पर कार्यकर्ताओं से मिलने के बाद वे टीपी नगर स्थित केन्द्रीय चुनाव कार्यालय पहुंची। यहबां पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने स्थानीय और बाहरी के मुद्दे को खारिज करते हुए साफ तौर पर कहा कि वर्तमान सांसद भी कोरबा से नहीं हैं। उन्होंने वर्तमान सांसद ज्योत्सना महंत की सक्रियता पर भी सवाल उठाए। सरोज पाण्डेय ने कहा कि ज्योत्सना के बाद 5 साल की उपलब्धियों के रूप में बताने को कुछ नहीं है। बाद में सुश्री पाण्डेय ने स्थानीय संगठन की बैठक लेकर चुनावी रणनीति पर चर्चा की।
2 लाख वोटों से जीतेंगी सरोज- देवांगन
उद्योग एवं श्रममंत्री लखनलाल देवांगन ने भाजपा प्रत्याशी सरोज पाण्डेय के 2 लाख से ज्यादा वोटों से जीतने का दावा किया है। पत्रकारों से चर्चा करते हुए श्री देवांगन ने स्थानीय और बाहरी के मुद्दे को खारिज करते हुए पूछा कि ज्योत्सना महंत कोरबा के लिए क्या हैं? सरोज पाण्डेय राष्ट्रीय नेत्री हैं, उन्हें प्रदेश ही नहीं, पूरा देश जानता है। पूर्वमंत्री जयसिंह अग्रवाल और ज्योत्सना महंत उनके आगे कहीं नहीं ठहरते। एक सवाल पर उद्योग मंत्री ने जयसिंह अग्रवाल को कद्दावर नेता मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा,- काहे का कद्दावर नेता…। पैसा बांटकर दो तीन बार चुनाव जीत गया। इस बार ठीक प्रत्याशी मिला तो जय सिंह 12 के भाग से निपट गया। उन्होंने हाल ही में हुई राहुल गांधी की न्याय यात्रा कोई फर्क नहीं पडऩे की बात कही, साथ ही कहा कि हकीकत यह है कि राहुल गांधी ने कांग्रेस का बंठाधार कर दिया है।
सरोज बड़ी और अनुभवी लीडर, जीतेंगी – रेणुका
इधर, भरतपुर सोनहत क्षेत्र की विधायक व पूर्व केन्द्रीय मंत्री रेणुका सिंह ने कोरबा से भाजपा प्रत्याशी सरोज पाण्डेय की जीत का दावा किया है। उन्होंने कहा कि सरोज के पास महापौर, विधायक और सांसद जैसे पदों पर काम करने का अनुभव है। वे बड़ी लीडर हैं। कोरबा से वे निश्चित तौर पर जीतेंगी और इसका लाभ भी क्षेत्रवासियों को मिलेगा। उन्होंने वर्तमान सांसद ज्योत्सना महंत पर भी कटाक्ष किया। रेणुका ने कहा कि उन्होंने ज्योत्सना महंत को संसद में कभी बोलते हुए नहीं देखा। जनता ने महंत को अपनी बातें उच्च सदन तक पहुंचाने के लिए चुना, लेकिन सांसद के रूप में ज्योत्सना महंत ने जनता के मुद्दों पर कभी सदन में अपनी बात नहीं रखा। न ही उन्होंने सदन में कोई मांग रखी। 5 साल पूरी तरह से निष्क्रिय रहीं। उन्होंने कहा कि इस बार एमबीसी और कोरिया जिले से भाजपा को अच्छी बढ़त मिलेगी। रेणुका ने राहुल गांधी की न्याय यात्रा पर भी सवाल उठाए।
44 फीसद से ज्यादा एसटी मतदाता
कोरबा लोकसभा में कुल 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इसमें कोरबा जिले की कोरबा, कटघोरा, रामपुर और पाली-तानाखार की सीटें शामिल है। वहीं कोरिया जिले की मनेन्द्रगढ़, भरतपुर-सोनहत और बैकुंठपुर सीटें शामिल है। बिलासपुर जिले की मरवाही सीट भी इसी लोकसभा अंतर्गत आती है। जातीय समीकरणों की बात करें तो कोरबा लोकसभा में सबसे ज्यादा अनुसूचित जनजाति वर्ग के 44.5 प्रतिशत मतदाता हैं। इसके बाद अनुसूचित जाति के 9.2 फीसदी, मुस्लिम वोटर्स 3.5 प्रतिशत और बाकी बचे हुए वोटर्स सामान्य वर्ग और ओबीसी कैटेगरी से हैं। इस लोकसभा क्षेत्र में साक्षरता दर 61.16 प्रतिशत है। वर्तमान में इस लोकसभा क्षेत्र में 15 ,99,188 मतदाता हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस की ज्योत्सना महंत ने विजय हासिल की थी। उन्हें 5.23 लाख वोट मिले थे, वहीं उनकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा की ज्योतिनंद दुबे को 4.97 लाख मत मिले थे।
जांजगीर का हिस्सा रहा है कोरबा लोकसभा क्षेत्र
2008 में हुए परिसीमन से पहले तक कोरबा संसदीय क्षेत्र जांजगीर लोकसभा का हिस्सा था। बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम ने इसी जांजगीर सीट से 1984 में अपने राजनीतिक कैरियर की शुरूआत की थी। हालांकि वे इस चुनाव में हार गए थे। बाद में यूपी जाकर उन्होंने बहुजन समाज पार्टी की स्थापना की और बसपा को ऊंचाइयों तक ले गए। 44.5 फीसद एसटी आबादी के बावजूद यहां राजनीतिक दल सामान्य वर्ग से प्रत्याशी देते रहे हैं। हालांकि परिसीमन के बाद हुए दूसरे चुनाव में भाजपा ने यहां से एसटी वर्ग से डॉ. बंशीलाल महतो को टिकट दी थी, जिन्होंने जीत हासिल की। कोरबा में भारत का सबसे बड़ा एल्युमिनियम संयंत्र भारत एल्युमिनियम कंपनी बालको भी है। छत्तीसगढ़ का दूसरा सबसे बड़ा मिनीमाता हसदेव बांगो बांध भी यहां पर स्थित है।