भिलाई। यदि आपने ब्लॉकबस्टर फिल्म शोले देखी होगी तो आपको इस फिल्म का एक छोटा लेकिन प्रभावी किरदार हरिराम नाई जरूर याद होगा, जो जेल में वैसे तो कैदियों की दाढ़ी बनाता था, लेकिन असल में जेलर के लिए जासूसी का काम करता था। वर्तमान में दुर्ग जिले की राजनीति में ऐसे ही कई हरिराम नाई टिकट दावेदारों के यहां घूम-घूमकर जासूसी कर रहे हैं और पल-पल की खबर विरोधियों तक पहुंचा रहे हैं। मजे की बात है कि इनमें अपनी ही पार्टी के नेता तो है हीं, विरोधी दल के लोग भी शामिल हैं। ये लोग नेताओं के यहां जाकर वहां की स्थिति-परिस्थिति पर पैनी नजर रखते हैं। चुनाव को लेकर चल रही चर्चा से लेकर तैयारियों तक की लाइव रिपोर्टिंग यही लोग कर रहे हैं। भाजपा व कांग्रेस दोनों ही दलों में ऐसे कई हरिराम नाई बताए जा रहे हैं।
दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों कांग्रेस व भाजपा ने प्रत्याशियों को लेकर अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन इससे पहले ही दावेदारों के यहां चुनावी गंध सूंघने वाले जासूस पहुंचने लगे हैं। कांग्रेस की टिकट को लेकर जहां लगातार विलम्ब होता जा रहा है, वहीं भाजपा ने पहली के बाद दूसरी सूची जारी करने की कवायद शुरू कर दी है। भाजपा की दूसरी सूची भी जल्द आने वाली है। लेकिन टिकट दावेदारों का सब्र जवाब दे रहा है। इसीलिए उन्होंने अपने लोगों को विरोधी पार्टी के दावेदार और अपनी ही पार्टी के प्रतिद्वंद्वियों की पल-पल की खबर के लिए तैनात कर दिया है। यदि किसी बंगले में विरोधी दल या संभावित प्रत्याशी को लेकर चुनावी चर्चा चल रही होती है तब हरिराम नाई का काम शुरू हो जाता है। नेताजी ने किस-किससे सम्पर्क किया, किससे, क्या बात की, किस ग्रुप या व्यक्ति को लाभ पहुंचाकर उसके सामाजिक वोट कबाडऩे की नीति बनाई गई… आदि-आदि, कई तरह बातों को संभावित विरोधी प्रत्याशियों तक पहुंचाया जा रहा है। इन लोगों की सबसे बड़ी पहचान संभावित प्रत्याशी के पास बैठकर वाहवाही करना, व विरोधी दल के संभावित प्रत्याशी की बुराई करना है। ताकि नेताजी खुश हो सकें और जासूस को अपना आदमी समझें।
जानकारों की मानें तो 2018 के पिछले चुनाव में भी इस तरह के टोहू (टोह लेने वाले) इस से उस प्रत्याशी या दावेदार तक घूमा करते थे, लेकिन इस बार इनकी संख्या और अपेक्षाओं का वजन भी ज्यादा है। बिना किसी क्षेत्र विशेष का उल्लेख किए यह बताना समीचीन होगा कि ऐसा एक नहीं, कई विधानसभा क्षेत्रों में चल रहा है। दरअसल, इस बार इन जासूसों पर यह महती दारोदामदार है कि वे सामने वाले की कमजोरियों पर ज्यादा से ज्यादा फोकस करें और बड़ा मुद्दा हाथ लगते ही तत्काल रिपोर्ट करे। भिलाई नगर सीट पर इस बार भी पिछले दोनों प्रत्याशी आमने-सामने होने की पूरी संभावना है। वहीं वैशाली नगर में दोनों ही दलों की ओर से नए प्रत्याशी उतारे जा सकते हैं। दुर्ग शहर व दुर्ग ग्रामीण क्षेत्र से कांग्रेस के दोनों प्रत्याशी लगभग तय हैं। इसके अलावा इस बार अहिवारा क्षेत्र से दोनों दल नए प्रत्याशी आजमा सकते हैं। पाटन में तो बघेल चाचा-भतीजे की टक्कर पहले से ही तय है।




