दुर्ग। जिला एवं सत्र न्यायालय दुर्ग में फर्जी तरीके से जमानत दिए जाने का मामला सामने आया है। जमानत दार द्वारा स्वयं की ऋण पुस्तिका से जमानत लिया जाता था। एक से अधिक मामलों में जमानत लेने के बाद भी पूर्व में लिए जमानत का उल्लेख ऋण पुस्तिका में नहीं मिला। मामला सामने आने के बाद अंकिता गुप्ता, न्यायिक मजिस्टेट प्रथम श्रेणी के निर्देश पर दुर्ग कोतवाली पुलिस ने फर्जी जमानतदार के खिलाफ धारा 420,467,468,471 दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
दरअसल यह मामला तब खुला जब जमानतदार ने एक केस में आरोपी की जमानत लेने किसान किताब (ऋण पुस्तिका) प्रस्तुत की। अंकिता गुप्ता, न्यायिक मजिस्टेट प्रथम श्रेणी के कोर्ट में हेमराज देशमुख नाम के अभियुक्त का केस चल रहा है। इनकी जमानत के लिए जमानतदार जयंती नगर, ग्राम सिकोला दुर्ग निवासी राजेश वैरागडे(55) ने किसान किताब क्रंमाक 1135434 को प्रस्तुत किया। पूरा फर्जीवाड़ा इसी किसान किताब से जुड़ा है।
जांच में पाया गया कि इसी न्यायालय में एक अन्य प्रकरण में धारा 138 के तहत आरोपी मोहन लाल की जमानत भी इसी किसान किताब के जरिए 5 अगस्त 2023 को जमानत ली गयी थी। उक्त किसान किताब में पूर्व के जमानत प्रकरण क्रमांक 3222 / 2011 कन्हैया वि मोहन धारा 138 एनआईएक्ट का कोई उल्लेख नहीं दिखा। साथ ही प्रस्तुत किसान किताब में तहसीलदार दुर्ग से कोई डुप्लीकेट अथवा नवीन किसान किताब जारी कराए जाने का भी इंद्राज नहीं था। इससे स्पष्ट हुआ कि जमानतदार द्वारा दस्तावेजों की कूटरचना कर फर्जी जमानत न्यायालय में पेश किया जा रहा है। इसके बाद कोर्ट ने जमानतदार पर कार्रवाई के लिए दुर्ग कोतवाली को निर्देश दिया है। कोर्ट के आदेश पर फर्जी जमानतदार के खिलापु अपराध दर्ज कर लिया गया।




