नई दिल्ली (एजेंसी)। कोरोना वायरस के नए वैरियंट के केस बढऩे से दुनिया परेशान हैं। इसके अलावा चीन में फैली निमोनिया जैसी बीमारी लोगों को डरा रही है। अब इस बीच अमेरिका में जोंबी डियर डिजीज का मामला सामने आया है। अमेरिका के येलोस्टोन नेशनल पार्क में इस बीमारी के केस मिले हैं। मेडिकल एक्सपर्ट की तरफ से इसके इंसानों में फैलने को लेकर चिंता जताई गई है। वैज्ञानिक इस बीमारी को धीमी गति से चलने वाली आपदा मानते हैं। इस बीमारी का केस मिलने के बाद डर बढ़ गया है। इसकी वजह यह है कि इस खतरनाक बीमारी का अभी तक कोई इलाज नहीं है। सबसे अधिक हिरण में यह बीमारी होती है, लेकिन अध्ययनों से जानकारी सामने आई है कि यह बीमारी इंसानों में भी फैल सकती है। इस घातक बीमारी को क्रॉनिक वेस्टिंग डिजीज (सीडब्ल्यूडी) भी कहते हैं।
अमेरिका की स्वास्थ्य एजेंसी, सीडीसी ने बताया है कि यह एक पुरानी और खतरनाक बीमारी है। एजेंसी की तरफ से कहा गया है कि सबसे पहले हिरण, एल्क, रेनडियर, सिका हिरण और चूहों में बीमारी के मामले देखने को मिलते हैं। सीडब्ल्यूडी प्रिऑन वायरस जानवरों के दिमाग को खाता है, जिसकी वजह से उनकी मौत हो जाती है। सबसे अधिक चिंता वाली बात यह है कि इस बीमारी का कोई इलाज या टीका भी नहीं है। इस वायरस से जानवर और इंसान दोनों प्रभावित होते हैं, लेकिन इसका कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि जानवरों से इंसानों को सीडब्ल्यूडी प्रिऑन का संक्रमण हो सकता है।
जानिए क्या है बीमारी के लक्षण?
जोंबी डियर डिजीज की वजह से दिमाग और रीढ़ की हड्डी में कोशिकाएं असामान्य रूप से मुड़ जाती हैं। इसके बाद यह आपस में चिपकने लगती हैं। संक्रमित होने के करीब एक साल बाद जानवरों में मनोभ्रंश, लडख़ड़ाहट, लार आना, आक्रामकता और वजन कम होने जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं। यह धीरे-धीरे उनकी मौत की वजह बन जाता है।
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के मुताबिक, जोंबी डियर डिजीज का 1967 में कोलोराडो में पहला मामला मिला था। अभी तक इस बीमारी के जानवरों से इंसानों में फैलने की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है, लेकिन सीडब्ल्यूडी पर एक शोध से सामने आया है कि यह एक संभावना है कि इंसानों में फैल सकता है। इसकी वजह यह है कि वायरस पकने के बाद भी नहीं मरता है। अगर इंसान संक्रमित मांस खाते हैं, तो वह भी इसकी चपेट में आ सकते हैं। दूसरी बात यह भी है कि जानवरों में यह उनकी लार, मूत्र, मल और खून से फैलता है।
अभी तक इंसानों में लक्षण नहीं
फॉक्स न्यूज के मुताबिक अभी तक इंसानों में जोंबी डियर डिजीज के लक्षण सामने नहीं आए हैं. लेकिन कुछ स्टडी से पता चला है कि अगर बंदर संक्रमित जानवरों के संपर्क में आते हैं तो उनमें जांबी डिजीज के लक्षण मिल सकते हैं. और उसका असर इंसानों पर पड़ सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1997 में सुझाव दिया था कि जानवरों में होने वाले किसी भी संक्रमण को भी गंभीरता से लेना चाहिए ताकि उसका असर ह्यूमन फूड चेन पर ना पड़े.
क्या होता है जोंबी डियर रोग
जोंबी डियर रोग’ एक घातक और संक्रामक बीमारी है जो ओवरी को प्रभावित करती है. यह रोग एक विकृत प्रोटीन की वजह से होता है जिसे प्रियन के नाम से जाना जाता है. इसकी वजह से ना सिर्फ जानवरों के व्यवहार पर असर पड़ने के साथ ही शारीरिक बदलाव होते हैं और अंत में संक्रमित जानवर की मौत हो जाती है. डियर के अलावा एल्क, मूस, रेनडियर और कारिबू भी इस बीमारी की चपेट में आते हैं.
क्या है मैड काऊ डिजीज
इसे बोवाइन स्पॉन्गॉर्मॉर्म एन्सेफैलोपैथी (BSE) के रूप में भी जाना जाता है. इसमें गाय पागल हो जाती है. यह एक घातक संक्रमण है जो वयस्क मवेशियों के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र यानी नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है. शोध के मुताबिक मूल रूप से कोशिकाओं पर प्रोटीन का एक असामान्य लेयर इकट्ठा होने लगता है. धीरे धीरे ये प्रोटीन नर्वस सिस्टम के ऊतकों के साथ रीढ़ की हड्डी को नष्ट कर देते हैं.