नई दिल्ली (एजेंसी)। लोकसभा में सवाल पूछने के बदले रिश्वत लेने के आरोप में घिरीं तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की मुश्किलें और बढऩे वाली हैं। सदस्यता जाने के बाद भी महुआ को आपराधिक मुकदमे से भी दो चार होना होगा। दरअसल, समिति ने लॉग-इन जानकारी को दूसरे पक्ष से साझा करने को राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ खतरा मानते हुए महुआ के खिलाफ जांच की सिफारिश की है। इसका मतलब है, महुआ के खिलाफ जांच एजेंसियों की ओर से कार्रवाई का रास्ता साफ हो गया है। वहीं, लोकपाल ने भी उनके खिलाफ सीबीआई जांच का निर्देश दिया है।
अपनी 500 पेज की रिपोर्ट में समिति ने इस मामले को ऑपरेशन दुर्योधन से भी गंभीर माना है। रिपोर्ट में समिति ने कहा है कि एक स्टिंग ऑपरेशन में 11 सांसदों ने रिश्वत लेकर सवाल पूछने पर हामी भरी थी, जबकि यह मामला सवाल पूछने के लिए रिश्वत लेने तक सीमित न होकर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है। वह इसलिए कि सांसद ने अपनी लॉग-इन जानकारी किसी तीसरे पक्ष से साझा की और उसमें दुबई से सवाल पूछे गए। ऐसे में इस मामले की आपराधिक जांच भी जरूरी है। ऑपरेशन दुर्योधन मामले में साल 2005 में 11 सांसदों को अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी थी।
बसपा सांसद दानिश अली ने आरोप लगाया, आचार समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार सोनकर और इसमें शामिल भाजपा सदस्यों ने तृणमूल कांग्रेस की नेता के मामले में समिति की कार्यवाही की जानकारी लीक की जो नियमों का उल्लंघन है। समिति की बैठक में शामिल विपक्ष ने गवाहों के खिलाफ क्रॉसचेक का मौका नहीं दिए जाने का मामला उठाया। साथ ही मीडिया में लीक होने पर भी आपत्ति जाहिर की, जबकि सत्ता पक्ष का कहना था, सवाल संसद की गरिमा का है, ऐसे में इसे राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए।
तत्काल नहीं जाएगी सदस्यता
लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य ने कहा, आचार समिति की सिफारिश के बावजूद महुआ का निष्कासन तत्काल नहीं होगा। आचार्य ने कहा कि लोकसभा आचार समिति की रिपोर्ट अब अध्यक्ष ओम बिरला को सौंपी जाएगी। अध्यक्ष इसे प्रकाशित करने का आदेश दे सकते हैं। संसद के अगले सत्र के दौरान समिति के अध्यक्ष सदन में रिपोर्ट पेश करेंगे और फिर उस पर बहस होगी। इसके बाद सदस्य के निष्कासन के लिए सरकारी प्रस्ताव पर मतदान होगा। उन्होंने कहा, मोइत्रा के निष्कासन के लिए सदन को रिपोर्ट अपनानी होगी।
बड़े अंतर से लोकसभा में करूंगी वापसी : महुआ
तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने समिति की सिफारिश को ‘कंगारू कोर्टÓ का फैसला करार दिया। उन्होंने कहा कि भले ही वे मुझे इस लोकसभा में निष्कासित कर दें, मैं अगली लोकसभा में बड़े जनादेश के साथ वापस आऊंगी। उन्होंने कहा, इसमें मुझे कोई आश्चर्य नहीं हुआ लेकिन देश के लिए बड़ा संदेश यह है कि भारत में यह संसदीय लोकतंत्र की मौत है। उन्होंने कहा कि सिफारिश को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है और इसे संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लाया जा सकता है। साथ ही कहा कि यह फैसला उन्हें सवाल उठाने तथा भाजपा-अदाणी सांठगांठ को और अधिक जोश के साथ उजागर करने से नहीं रोक सकता है। अपनी भविष्य की योजना पर पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पहले उन्हें मुझे निष्कासित करने दीजिए। इसके बाद मैं अपने अगले कदम का ऐलान करूंगी।